Tuesday, August 23, 2011
तेरे इश्क में........
ऐसी बारिश हुई मैं हरी हो गयी
अबतक तो थी मैं खोटी अब खरी हो गयी
अब तक तो तन ये लगता था बेमोल बस माटी सा
तुने छुआ तो सोने की मैं जरी हो गयी
सौतन सी कुछ लगी तुझे छु के गुजरती हवा
सब कहने लगे देखो ये बावरी हो गयी
इलज़ाम था की मुझमे प्रेमरस नही बहता
तुझे शिद्दत से यु चाहा की मैं बरी हो गयी
जोगन सी बेटी देख कर रोती है मेरी माँ
छोरी ये जन मुसीबत नरी हो गयी
Tuesday, August 16, 2011
in support of jan lokpal.......
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