tag:blogger.com,1999:blog-5025405091820590688.post3500439093924316411..comments2023-10-21T05:32:25.015-07:00Comments on पंख . . . . .: बिखरे मोती . . . . . .पंखhttp://www.blogger.com/profile/11603273644081381913noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5025405091820590688.post-26804514153006708612010-11-22T01:30:35.948-08:002010-11-22T01:30:35.948-08:00कविता मे दर्द छलकता है। मैं भी कुछ इसी तरह की कवित...कविता मे दर्द छलकता है। मैं भी कुछ इसी तरह की कविताएँ लिखता हूँ। कभी <a href="http://kutariyar.blogspot.com/search/label/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%B9" rel="nofollow"> विरह </a> लेबल वाली कविताएँ मेरे ब्लॉग पर आ कर पढ़ें।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04047145615290163989noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5025405091820590688.post-57098971376803913162010-10-13T14:52:41.863-07:002010-10-13T14:52:41.863-07:00आपकी कविता पढ़ के मुझे अपनी जिंदगी का वो लम्हा याद...आपकी कविता पढ़ के मुझे अपनी जिंदगी का वो लम्हा याद आ गया..जब मैं इसी तरह के भावनाओं से गुजरा था..उस मंजिल को देखने के बाद आदमी बूंद से समंदर हो जाता है ..और तब उसके अंदर अथाह करूणा और प्यार पैदा हो जाता है जिसे वो जिंदगी भर दुनिया से बांटता रहता है.<br /><br />इकबाल ने लिखा है..<br /><br />हज़ारों साल से नर्गिश अपनी बेनूरी पे रोती है <br />बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5025405091820590688.post-36625752439349510722010-10-10T02:53:56.346-07:002010-10-10T02:53:56.346-07:00गम को मुस्कराहट में कुछ इस तरह ढाला है
सब दुआ मांग...गम को मुस्कराहट में कुछ इस तरह ढाला है<br />सब दुआ मांगते है अक्सर मेरे रोने के लिए<br /><br />loved these lines. really goodThe guy sans voicehttps://www.blogger.com/profile/14222506203808992951noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5025405091820590688.post-66251401781782029022010-09-28T05:11:54.155-07:002010-09-28T05:11:54.155-07:00gr8gr8AANCHALhttps://www.blogger.com/profile/12335047333366384143noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5025405091820590688.post-69244739178190999532010-09-27T12:42:13.553-07:002010-09-27T12:42:13.553-07:00कुछ इस तरह बिखर चुकी हु मैं की क्या कंहू
मिलता नही...कुछ इस तरह बिखर चुकी हु मैं की क्या कंहू<br />मिलता नही कोई मोती पिरोने के लिए <br />-----------------------------------------<br />शब्दों के बड़े सुंदर मोती पिरोये हैं श्वेता..... अच्छी लगीं आपकी लिखी पंक्तियाँ डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5025405091820590688.post-64426464175277716502010-09-23T07:00:35.947-07:002010-09-23T07:00:35.947-07:00jabardast..
मेरे हाथ में आकर हीरे भी पत्थर हो जाते...jabardast..<br />मेरे हाथ में आकर हीरे भी पत्थर हो जातेहै<br />मैं क्या भागूंगी चांदी कभी सोने के लिए<br />kya line hai!! superb!!SAKET SHARMAhttps://www.blogger.com/profile/11249488966676421573noreply@blogger.com