Thursday, September 23, 2010

बिखरे मोती . . . . . .


क्या रात अब कोई बाकि है होने के लिए
अब बचा ही क्या है जिंदगी में खोने के लिए

सुख चुके है फूल कबसे खुशियों के मेरे
उन्होंने अब सिंची है जमी दर्द बोने के लिए

मेरे हाथ में आकर हीरे भी पत्थर हो जातेहै
मैं क्या भागूंगी चांदी कभी सोने के लिए

गम को मुस्कराहट में कुछ इस तरह ढाला है
सब दुआ मांगते है अक्सर मेरे रोने के लिए

कुछ इस तरह बिखर चुकी हु मैं की क्या कंहू
मिलता नही कोई मोती पिरोने के लिए

Tuesday, September 21, 2010

happy birthday........ :)


कितनी बड़ी हुई हु मैं, ये तो पता नही..
कहने को जुड़ गया है मुझसे एक साल और..
श्वेता जिंदल को श्वेता जिंदल की तरफ से उसके 21 वे जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाये ..... :)

Thursday, September 9, 2010

चल प्रभु ....


चल प्रभु तू मुझे कही दूर ले चल,

जहा मैं मुक्त हो खुद से तुझे महसुस कर पाऊ.

चंचल और विचलित लहरों में तेरी स्थिरता के दर्शन करू

इस नीले आकाश में तेरी भव्यता को निहारु

मुझमे प्रवित्ठ होती हर साँस में तुझे सम्मिलित पाऊ

तू मेरे अंतर्मन से मुझे मुक्त करदे प्रभु

ताकि मैं स्वयं को छोड़ तुझमे पल्लवित हो जाऊ

आंधी में उड़ते सूखे पत्ते की तरह बेफिक्र कर दे मुझे

ताकि मैं जीवन की धारा में स्वछंद रूप में बहती रहू

प्रभु तू हवा के हर झोके के साथ मुझे झकझोर

और फिर मैं बनकर अपनी शक्ति को मुझे महसुस करने दे

प्रभु तू अपनी सुन्दरता से मुझे सम्मोहित कर ले

ताकि संसार का कोई भी लोभ मुझे तेरे सामने तुच्छ लगे..

Wednesday, September 8, 2010

फिर कभी............


मेरी महफ़िल में लगता नही वो आयेंगे फिर कभी
छोड़ो ये अधुरा नगमा हम सुनायेंगे फिर कभी

बोहोत मशगुल है उनमे न जाने वक़्त से कितने
अपने लिए भी दो चार पर ले आयेंगे फिर कभी

मुझे डर है कही वो रो न दे इस हाल पे मेरे
नासूर मेरे दिल के उन्हें दिखायेंगे फिर कभी

दर्द देती है अगर ये यादे तो सुकून भी दे जाती है
बिखरे पन्ने ये जिंदगी के जलाएंगे फिर कभी

अभी तो जाने दो जंग लड़ने इस जिंदगी से
जिंदा रहे तो तुमसे मिलने आयेंगे फिर कभी