
नस्ल भी परखी थी हमने
दाम भी ना दिए थे कम
हर बार की तरह इस बार भी
देखो उल्लू बन गए हम
हर चुना हुआ नेता
बिना लगाम का घोड़ा है
लोकराज में जो मिल जाये थोड़ा है....
गड्डो में सड़के बस मिलती
खातो में बढती शिक्षा दर
दोनों हाथो से लूट के सबको
मनती दिवाली इनके घर
रास्ता भी है ये और ये ही रास्ते का रोड़ा है
लोकराज में जो मिल जाये थोड़ा है....
आँगन में इनके पलती रिश्वत
चौके में पकता भ्रष्टाचार
खुद में इतने व्यस्त है ये
जनता का कैसे करे विचार
बड़ी मेहनत से इन ने स्विस बैंक में अरबो जोड़ा है
लोकराज में जो मिल जाये थोड़ा है...
कथनी इनकी इतनी है की
ग्रन्थ लिखे जा सकते है
करनी के नाम पे घोटालो का
ओस्कर ये जीत सकते है
हर चेहरे के पीछे कोई छुपा हुआ मधु कोड़ा है
लोकराज में जो मिल जाये थोड़ा है ..
सभी नेताओ को मेरा शत-शत प्रणाम ....
अरे वाह श्वेता जी....इस बार तो काफी हट कर पोस्ट है आपकी.....अच्छा व्यंग्य है नेताओं पर|
ReplyDeletesare neetaon ko padhana chahiye yeh to bahut sahi likha hai.
ReplyDeleteहा हा :) मस्त..अच्छा व्यंग है..एकदम सही
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत रचना ...दिल को छू गयी
ReplyDeletemastest jabardastest superb^3. बहुत बढिया. भाव और प्रस्तुति दोनो अच्छी लगी.
ReplyDelete:-) मेरी ओर से भी प्रणाम इन्हें,
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति.
सदाबहार देव आनंद
कमाल का लिखती हैं आप, साधुवाद
ReplyDeletegreat work..... aap bahut hi badhiya likhti hai... laajwaab...
ReplyDeleteFirst of all thanx for given your valuable comment on my work.. Aap khud kafi achha likhate ho...
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeletewaah
badhiya likha hai aapne
aabhaar
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeleteखूबसूरत
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