
कटघरे में खड़ा पाया है कमजोर को मैंने
अमीरों पे यहाँ कभी कोई इल्जाम नही आया
जो बिक गया था रात ही सिक्को की छन छन के लिए
सुबह इंसाफ ने बुलाया तो वो आवाम नही आया
सुकून मिलता है मुझे जब गरीब सोता है भर पेट
सियासत की बदौलत कबसे आराम नही आया
रावण से कम कोई क्या होगा आज का नेता
बस उन्हें मारने अब तक कोई राम नही आया
सबने चलाया देश को अपने अपने हिसाब से
किताबो में लिखा संविधान किसी काम नही आया
बहुत सही बात लिखी है आपने..लगता है अब इस युग में राम नही आयेंगे..
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा आपको पढ़कर. लिखती रहिए.
ReplyDeleteशुभकामनाएं.
Ram and Ravan - good analogy.
ReplyDeleteअच्छा लिखती हैं आप...
ReplyDeleteजारी रखिए. बधाई.
कुछ पंक्तियां गंभीर एवं बेहतरीन हैं..
ReplyDeleteहिंदी साहित्य में एक मुकाम की ओर लगातार बढ़ें, यही कामना है.....
क्या कर सकते हैं जी...
ReplyDeleteअगर सब किताबों में लिखे संविधान से चलते तो बात ही क्या थी..
किताबों में लिखा संविधान बहुत काम का है . इक्का दुक्का लोग बच जाते है तो क्या हुआ. पर आप का लेखा बहुत शानदार है . मेरे ब्लॉग पर टिपण्णी के लिए धन्यबाद.
ReplyDeleteआपकी लेखनी का मैं बहुत...बहुत..बहुत..बड़ा प्रशंशक हूँ..दो सप्ताह से आपकी कोई रचना पढ़ने को नहीं मिली..
ReplyDeleteWRITTEN GOOD.IT IS KALYUG.EVERYBODY WAITING FOR A RAM. BUT NOBODY WANTS TO BE A RAM........
ReplyDeleteरावण से कम कोई क्या होगा आज का नेता
ReplyDeleteबस उन्हें मारने अब तक कोई राम नही आया
अत्यंत सुन्दर॥ बधाई स्वीकारें।
very well written.... :)
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