
आवाज़ को हमारी आवाज़ तुम भी दो
लड़ाई जी शुरू की है इसे अंजाम तुम भी दो
हम मिल के बनायेंगे बंजर देश को गुलिस्ता
पसीने की बूँद अपनी दो चार तुम भी दो
डर को निकल दिल से कर दो चिता हवाले
जनशक्ति के इस शेर को दहाड़ तुम भी दो
ये जननी जन्म भूमि है स्वर्ग से महान
आज़ादी में इसकी योगदान तुम भी दो.....
हम मिल के बनायेंगे बंजर देश को गुलिस्ता
ReplyDeleteपसीने की बूँद अपनी दो चार तुम भी दो
Bahut Sunder..... Milkar hi Awaz uthani hogi....
Now writing on politics!!!!!
ReplyDeleteThats a step forward. Keep it up.