Wednesday, October 27, 2010

हसरत ...........



कारखानों में घिसते बचपन की मैं पेंसिल बन जाऊ
चाहत है कांपते हाथो की मैं लाठी बन जाऊ

फ़रिश्ते तो जमी पर रोज़ आया नही करते
कुछ ऐसा करू की गरीब की बरकत बन जाऊ

खुशिया अगर आये तो बाढ़ बन के मैं लुटा दू
गम आये अगर कभी तो मैं सागर बन जाऊ

महलो और झोपड़ो की जो दुनिया है सटी हुई
जोड़ दे जो दोनों को मै वो पगडण्डी बन जाऊ

मजदूर की मेहनत से दिन रात मैं भरती रहू
कोई भूखा न सोये मैं ऐसी थाली बन जाऊ

जब भी टपक के आँखों से मैं कविता बनू
चाहती हु तुम तक पहुच के फिर आंसू बन जाऊ

14 comments:

  1. pahli bar aaya shaayad aapke blog par...

    waah !

    bahut khoob likhte hain aap.......

    ________
    ____________aapki gazalon ko yahaan bhijvaayen toh achha hoga

    dhnyavaad

    http://albelakhari.blogspot.com/2010/10/48-1100.html

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  2. श्वेता जी,

    बहुत खूब.....हर शेर लाजवाब है ......कोई भी किसी कद्र किसी से कम नहीं है.....एक अच्छी और नेक सोच को बयाँ करती है ये पोस्ट....... आपके ब्लॉग पर मैंने ये दूसरी पोस्ट पढ़ी है..........आप अच्छा लिखती हैं....आपको फौलो करने में मुझे ख़ुशी हुई है .........शुभकामनाये हैं ऐसे ही लिखती रहे.............

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  3. वाह इतनी अच्छी सोच.. :)

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  4. आदरणीय श्वेता जी,
    आपकी भावना प्रधान ग़ज़ल पढकर बहुत ही अच्छा लगा !
    मेरी बधाई स्वीकार करें !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ
    www.marmagya.blogspot.com

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  5. मन के तारों को झंकृत करने में सक्षम कविता। हार्दिक बधाई।

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  6. गजल में अंत्याक्षरों का मिलान बहुत जरूरी होता है। सोच अच्छी है,फॉर्म (शिल्प) पर कुछ और मेहनत करतीं तो उसमें और ताकत आ जाती । आशा है अन्यथा नहीं लेंगी.....

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  7. कारखानों में घिसते बचपन की मैं पेंसिल बन जाऊ
    चाहत है कांपते हाथो की मैं लाठी बन जाऊ

    बहुत बढ़िया !!

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  8. bahut achchhi soch hai beta ,ise hamesha yaad rakhna

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  9. Very good poem sweta.
    kalpana aur yatharth ka achha misran hai yeh.
    -Suresh Baranwal
    http://hastchhepp.blogspot.com/

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  10. खुबसूरत ,संदेशपरक , कोमल रचना ............ फिर से बधाई .

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  11. फ़रिश्ते तो जमी पर रोज़ आया नही करते
    कुछ ऐसा करू की गरीब की बरकत बन जाऊ


    good one!!!!!

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  12. अति सुंदर सब्द जैसे भाव बन गए है और ज़िन्दगी कि कड़वाहट को दूर करने निकल पड़े है तुम्हारे साथ...............अदभुत !!
    शुभकामनाये

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