Saturday, August 28, 2010

भ्रम .......


जिसे पाने के लिए हम हर गम सहने लगे
हमारी उस मंजिल को लोग, करवा कहने लगे

कैसे समझाऊ खुद को के पानी नही यहाँ
जब हम ही बड़े शौक से, इस धर में बहने लगे

उजड़ी हुई है आज तो ,लेकिन कभी बस जाएगी
सोचकर शायद ये हम , वीरान में रहने लगे

चुभ रहे है आज भी, हमको जो कांटो की तरह
क्या पता सबको भला , कैसे ये सब गहने लगे

1 comment:

  1. 12,saal kai baad ghura(jaha par kuda dala jata hai)uska bhee din phirta hai.

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