Saturday, August 28, 2010

मौत तेरे इंतजार में.....

मौत मैं तेरे इंतजार में जी रही हू....

मौत मैं शिकायतों के पहाड़ से घिरी एक घटी हु
और अपेक्षा की आग में जलता एक तिनका
जिंदगी की दौड़ में मै एक लाश की तरह हु
मैं बेसब्री से हार जाने के इंतजार मे हू मौत

नकली हंसी और खोकली ख़ुशी में रमी हुई
किसी परकटे परिंदे की तरह हताश और असक्षम
उतनी ही अकेली जितना घने जंगल में एक ठूठ
मैं एक सूखे पत्ते की तरह गिर जाने को तैयार हु ऐ मौत

नही लगता मुझे यहाँ अब मेरा कोई काम है
अब ठंडी हवा का झोका नही लता ताजगी मेरे लिए
और ना अब अमरुद मीठे लगते है रत्तीभर
लगता है जैसे खोकली नीव पर बना मकान हु मैं
इसी पल ढहने को तैयार हु ऐ मौत

मौत अब हर पल , पल लम्बे होते जा रहे है
और हर पल आता है ढेरो नए दर्द के साथ
मैं वो टूटी हुई नाव हु जिसे लहरें यहाँ वहा भटका रही है
मैं एक अनजान दुनिया में डूबने को तैयार हु ऐ मौत

1 comment:

  1. mujha gam hai wo n aaye mera janaja kai peecha
    main aati bhee kaisa tera janaja kai peecha
    ki tera janaja thaa mera janaja kai peecha

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