Saturday, August 28, 2010

मैं मेरे बिना .....!!!!!! अब नही....


ऐ मेरे चंचल से मन ,
आ बैठ मुझसे बात कर...

बात कर तू आज खुलके,
सत्य के सागर में धुलके,
मुझको बता सब राज तेरे,
तुझको है रहता कौन घेरे,
मैं नही रोकुंगी चाहे तू सुबह से रात कर,
ऐ मेरे चंचल से मन आ बैठ मुझसे बात कर.

तुझसे ही मिलने को बस मैं छोड़ सबको आई हूँ ,
मुझको तुझमे ही मिलाने आज खुदको लाई हूँ ,
तेरे बिना मुश्किल है जीना अब मेरा एक और पल,
तू दूर था तो जिन्दगी लगती थी जैसे एक छल,
चाहे तो मुझको डाट तू चाहे तो तू आघात कर,
ऐ मेरे चंचल से मन आ बैठ मुझसे बात कर.......

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